‘धाकड़ धामी’ के निशाने पर अब ‘अवैध वक्फ संपत्तियां’

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लावारिस वक्फ संपत्तियों पर स्कूल एवं अस्पताल बनवा सकती है सरकार,उत्तराखंड में वक्फ की कुल 5388 अचल संपत्तियां, जिनमें से 2147 संपत्तियां पंजीकृत ,2000 डिजिटलाइज और 2000 से अधिक संपत्तियां का संदिग्ध

देहरादून।सूबे में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने ,अवैध मजारों को हटाकर हजारों एकड़ सरकारी जमीन मुक्त कराने एवं अवैध मदरसों को बंद करने के बाद अब धाकड़ धामी के निशाने पर अवैध एवं संदिग्ध वक्फ संपत्तियां हैं ।खबर है कि वक्फ संशोधन बिल के कानून बनते ही राज्य की पुष्कर सिंह धामी सरकार अवैध एवं संदिग्ध वक्फ संपत्तियां की जांच करने की तैयारी में है । कहा जा रहा है कि जांच करने के बाद राज्य सरकार अवैध एवं संदिग्ध तथा लावारिस वक्फ संपत्तियों पर स्कूल कॉलेज एवं अस्पताल निर्माण जैसे जनहित के कार्य करवा सकती है । बताना होगा कि संसद के दोनों सदनों से वक्फ संशोधन बिल बहुमत के साथ पास हो गया है और अब इस पर राष्ट्रपति के दस्तक होन भर शेष है। महामहिम दस्तखत होते ही यह बिल कानून बन जाएगा ।हालांकि संसद द्वारा पारित वक्फ संशोधन बिल को चुनौती देते हुए कई राजनीतिक दल सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा रहे हैं ,मगर उत्तराखंड में वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को लेकर सरकार ने अपना मत साफ कर दिया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने संकेत दिया है कि वक्फ बोर्ड से बाहर आने वाली संपत्तियों को जनहित के कार्य में लगाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में वक्फ बोर्ड की  केवल 2147 जमीन (अलग- अलग हिस्से) ही पंजीकृत हैं। जबकि पूरी संपत्तियों की अगर जानकारी ली जाए, तो वक्फ बोर्ड की कुल अचल संपत्ति तकरीबन 5388 है। खास बात तो यह है कि उत्तराखंड में 2000 से अधिक वक्फ बोर्ड की संपत्तियों (अलग -अलग रूप में) को डिजिटल भी किया गया है। इसके साथ ही 2000 से अधिक ऐसी संपत्ति भी हैं, जिनका फिलहाल कोई अभिलेख नहीं मिला है। इन्हीं सब मामलों को देखते हुए राज्य सरकार ऐसी संपत्तियों की जांच करवा रही है जिसका कोई अभिलेख नहीं है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह साफ कर दिया है कि अगर इन संपत्तियों का कोई वारिस नहीं होगा, तो सरकार इन संपत्तियों पर स्कूल, कॉलेज, अस्पताल यानी जनहित के कार्य करवाएगी। उधर वक्फ बोर्ड का  कहना है कि जिन वक्फ संपत्तियों के अभिलेख नहीं है या जिन संपत्तियों का अभी तक पंजीकरण नहीं हुआ है। बहुत जल्द उनका भी पंजीकरण हो जाएगा और अभिलेखों को संबंधित विभाग को मुहैया करवाया जाएगा। ज्ञात हो कि उत्तराखंड में सबसे अधिक वक्फ संपत्ति हरिद्वार, उधम सिंह नगर और देहरादून के विकास नगर और सहसपुर क्षेत्र में  है। हालांकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह भी साफ कहा है कि बोर्ड की किसी भी ऐसी संपत्ति पर सरकार किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं करेगी, जिसका रिकॉर्ड पूरी तरह से सही है, लेकिन वक्फ बोर्ड की संपत्ति को अवैध रूप से किसी को भी हथियाने नहीं दिया जाएगा।

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